मेरे आसपास के कई लोग अक्सर ये शिकायत करते हैं कि तुम घरेलू काम करते हुए इतना गाते क्यों हो? उसकी फोटो सोशल मीडिया पर क्यों डालते हो? चुपचाप क्यों नहीं कर लेते?
इसके पीछे वजह ये है कि हम उस समाज में रहते हैं जहां पितृसत्ता हावी है… घरेलू काम करना शारीरिक रूप से कोई बहुत बड़ा काम नहीं है आदमी का शरीर आराम से कर सकता लेकिन उसके लिए दिमाग तैयार नहीं होता.
एक पुरुष एक कुंतल की कितनी ही बोरी दिनभर में इधर से उधर रख देता है लेकिन घर जाकर खाने के बाद उससे 100 ग्राम की थाली उठा कर रसोई तक नहीं रखी जाती. क्योंकि उसने बचपन से यही देखा है सीखा है कि उसने कभी अपने पिता, दादा या नाना को अपनी थाली उठाते हुए नहीं देखा घर के बर्तन साफ करते हुए नहीं देखा तो वो कैसे कर सकता है?
यही सोच बदलनी है मेरे ये सब करने से लिखने से फोटो डालने से शायद कुछ न बदले लेकिन मेरे बच्चे जब मुझे ऐसा करते हुए देखेंगे तो वो चौंकेंगे नहीं उन्हें अपनी थाली उठाना अजीब नहीं लगेगा घर के बर्तन साफ करना लड़कियों का काम नहीं लगेगा. दरअसल मुझे मौजूदा पीढ़ी से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है ये वाली तो मंदिर मस्जिद में व्यस्त है उसके पास इन छोटी बातों के लिए वक्त नहीं है… मैं आने वाली पीढ़ी में इन्वेस्ट कर रहा हूं.
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