2-3 दिन पहले ऑफिस के साथी ने कांबड़ लाने के लिए 4 दिन की छुट्टी मांगी तो मैंने पूछा… बहुत जरूरी है क्या है जाना? तो उसने कहा हां, मेरे सब दोस्त जा रहे हैं फिर मैंने पूछा उन सबको 4 दिन की छुट्टी मिल गई? तो जवाब मिला- अरे वो कहीं नौकरी नहीं करते…
उसके इस जवाब से कई सवालों के जवाब मिलने लगे…जो पिछले कुछ सालों से मन में घूम रहे थे कि हर साल कांवड़ियों की भीड़ कैसे बढ़ती जा रही है? इन लड़कों को ऑफिस स्कूल या कॉलेज से 4-5 दिन की छुट्टी कैसे मिल जाती है? क्योंकि आज से 10-15 साल पहले स्कूल कॉलेज के दिनों में हम या हमारा कोई साथी कांवड़ लेने नहीं जाता था सब अपनी पढ़ाई या खेलकूद में लगे थे…
हां ये बात अलग है कि अब उनमें से ही कई अच्छे पदों पर हैं और कांवड़ यात्रा को अच्छा बताते हैं और प्रोत्साहन के लिए उसके वीडियो भी शेयर करते हैं… तब कांवड़ लेने गिनती के लोग जाते थे साधू-संत जाते थे… या ज्यादा उम्र के लोग जाते थे नए-नए लड़के तो बिल्कुल नहीं जाते थे तब ना ही पुलिस प्रशासन को इतना इंतजाम करना पड़ता था ना ही आज की तरह पहले हुड़दंग होता था…
अब भीड़ बढ़ने की एक वजह तो यही है कि ज्यादातर लड़कों के पास रोजगार नहीं है नौकरी नहीं है नहीं तो किसी भी ऑफिस से 5-6 दिन की छुट्टी मिल ही नहीं सकती… और अब जो अधिकारियों की तरफ से फूल वर्षा हो रही है वो एक तरह से प्रोत्साहन ही है जबकि ये उम्र पढ़ने लिखने और नौकरी की है… वैसे ये भीड़ जितनी बढ़ेगी उसमें सरकार को तो फायदा ही है आप नौकरी ना मांगे कांवड़ उठा लें…