ये जो शहीद हुए हैं ना राहुल पांडे…इनके पिता जी जब समाज में निकलेंगे तो इज्जत मिलेगा खूब मिलेगा…लेकिन कब तक बाहर रहेंगे आखिर में तो घर ही आना पड़ेगा..उस घर में जहां परिवार का एक सदस्य कम हो गया हो और वो भी हमेशा के लिए…इस वक्त में दुनिया साथ होती है बस परिवार ही साथ नहीं होता तब समझ आता है अकेलापन क्या होता है…कोई अपना चाहे सात समंदर पार हो लेकिन दिल को ये तसल्ली रहती है कि अभी आंखों से दूर है पर कहीं तो है लेकिन जब वो इस दुनिया से चला जाता है तब आदमी अंदर से खाली हो जाता है…
पंचायत सीरीज (Panchayat Season) के दूसरे सीजन के सभी एपिसोड में खूब हंसे लेकिन आखिरी एपिसोड ने तो रुला ही दिया ये देखते हुए कितनी कोशिश की खुद को मजबूत बनाने की लेकिन रोक नहीं पाए और आंसू बहते ही चले गए जिसने भी डायलॉग लिखे हैं कमाल के लिखे हैं…”हमाए बाप मर गए हमाई अम्मा मर गईं बीवी मर गई और आज हमार लड़का भी मर गया ये भगवान ने हमारे साथ अच्छा नहीं किया…आज हम बहुत अकेले पड़ गए अब हम का करें…प्रधानजी…ये सुनकर और फैसल मलिक (Faisal Malik) के मुंह से सुनकर कोई भी पत्थर दिल रो पड़ेगा क्या ही कमाल का काम किया है आपने…मतलब जितना हंसाया उतना ही रुला दिया..आपको हम याद रखेंगे गुरू.
इसी सीन में रघुबीर यादव (Raghubir Yadav)….जिस तरह से सांत्वना देते हुए कहते हैं ”अकेला नहीं है बेटा तू अकेला नहीं है हम सब साथ हैं”वो बिल्कुल ऐसे लगता है जैसे हमार आसपास कोई अपना रोता है हमें संभालता है बिल्कुल फिल्मी नहीं कोई एक्टिंग नहीं…मुझे लगता है इस सीन में सब सच में रोए होंगे। ये पंचायत विकास बाबू का जिक्र किए बिना तो उठ ही नहीं सकती…चंदन रॉय (Chandan Roy) ने क्या ही काम किया है…पूरी सीरीज में कहीं लगा ही नहीं कि इन्होंने कहीं एक्टिंग की है ऐसा लग रहा था कि ये अपना काम कर रहे हैं और किसी ने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया हो…सतीश राय (Satish Ray) ठंडी हवा के झोंके की तरह आते हैं हमारे मुस्कराते चेहरे की मुस्कान को और चौड़ा करने के लिए…नीना गुप्ता (Neena Gupta) बिल्कुल अपनी सी लगी हैं जैसे हमारे घर की कोई बड़ी महिला जो सबका ख्याल रखती हैं….और अपने सचिव जी तो कतई सहज लगे हैं और इस बार पहले से ज्यादा चमकते हुए. इस सीरीज में मीडिया के लिए भी सीखने को है कि दुख की घड़ी में कैसे रिपोर्टिंग की जाती है…खैर जल्दी से देख डालिए देखने के बाद शुक्रिया जरूर बोलेंगे.