इमरजेंसी…आपातकाल ये शब्द सुनकर…कोई भी चौंक जाता है…क्योंकि लोगों के जेहन में इमरजेंसी से जुड़ी कुछ बेहद कड़वी यादें बसी हैं…लोगों को लगता है कि इमरजेंसी मतलब सरकार की मनमानी, आजादी का खत्म होना….लेकिन यहां हम जिस इमरजेंसी की बात कर रहे हैं वो कुछ और मायने लिए हुए हैं…इसमें आपकी आजादी पर पाबंदी नहीं लगती बल्कि आपकी जेब पर पाबंदी लगती है…दरअसल हम बात कर रहे हैं आर्थिक आपातकाल की जो इस समय हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में लगाया गया है…
लंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी है…दरअसल श्रीलंका की मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट आ गई है, जिसके कारण खाद्य कीमतों में भारी तेजी आ गई है। हालात ये हैं कि श्रीलंका में चीनी, चावल, प्याज और आलू की कीमतें आसमान छू रही हैं। दूध पाउडर, मिट्टी के तेल और रसोई गैस की कमी हो जाने के चलते दुकानों के बाहर लंबी कतारें लग रही हैं। इसके लिए जमाखोरी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और व्यापारियों पर उंगलियां उठ रही हैं। इसकी वजह से बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए आर्थिक आपातकाल लगाया गया है
अब ये सुनकर आपके मन में एक ही सवाल उठा होगा और वो कि आखिर ये आर्थिक आपातकाल होता क्या है और इसमें होता क्या है?
क्या होता है आर्थिक आपातकाल?
किसी भी तरह के आपातकाल की घोषणा उस देश के राष्ट्रपति की तरफ ही की जाती है फिर चाहे वो आर्थिक आपातकाल हो या सामान्य आपातकाल…आर्थिक हालात खराब होने पर धारा 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा की जाती है और ये तब की जाती है जब उन्हें ऐसा लगता है कि देश में भारी आर्थिक संकट पैदा हो चुका है। यह सख्त कदम तब उठाया जाता है जब लगता है कि इस आर्थिक संकट के चलते देश के वित्तीय स्थायित्व को खतरा हो सकता है। कोई भी सरकार इतना सख्त कदम उठाने को तब मजबूर हो जाती है जब आर्थिक स्थिति बदतर होने की वजह से सरकार दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाती है।
भारत में कब-कब लगा है आर्थिक आपातकाल?
भारत में राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन का इस्तेमाल तो हो चुका है, लेकिन आर्थिक आपातकाल लगाने की नौबत कभी नहीं आई…हालांकि कोरोना काल में शुरुआती दौर में आर्थिक आपातकाल लागू किए जाने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन वे सब कयास ही निकले कभी आर्थिक आपातकाल पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया
आर्थिक आपातकाल लागू होने पर क्या होता है?
अगर किसी देश में आर्थिक आपातकाल लागू हो जाता है तो सभी कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में कटौती की जाने लगती है
यह कटौती कितनी होगी, ये भी सरकार ही तय करती है।
देश में आर्थिक आपातकाल लागू होते ही आम नागरिकों के पैसों और संपत्ति पर देश का अधिकार हो जाएगा.
वहीं हम भारत की बात करें तो देश में अभी तक आर्थिक आपातकाल कभी लागू नहीं हुआ है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन का इस्तेमाल हो चुका है…
ये जानकारी आपको कैसी लगी हमें कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं…