Now we need to focus on the new generation because: आज मैंने अपने एक दोस्त को फोन किया वो कहीं रास्ते में था और गाड़ी चला रहा था मैंने जैसे ही अपनी बात शुरू की उधर से आवाज आई या तो फोन रखो या गाड़ी साइड में रोक कर बात करो…ये उसके 7 साल के भतीजे की आवाज थी…दोस्त ने बच्चे को शांत करने के लिए बोला, बस एक मिनट बात करके फोन रखते हैं लेकिन वो बच्चा नहीं माना और बार-बार चिल्लाता रहा,कि नहीं, या तो फोन रखो या गाड़ी साइड में रोक कर बात करो…दोस्त उसे समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे बड़ा सही लगा कि बड़ों को गलत करने से बच्चे रोक रहे हैं जिन्हें अक्सर बड़े ही कहा करते हैं अभी तुम बच्चे हो तुम्हें समझ नहीं है…लेकिन यहां बच्चे बड़ों से ज्यादा समझदारी दिखा रहे हैं। मैंने बड़ा खुश होकर अपने दोस्त से बोला यार बच्चा सही कह रहा है मैं फोन रखता हूं और बाद में करता हूं।
फोन रखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं हर दिन कितनी कोशिश करता हूं लोगों को समझाने की, कि सही क्या है और गलत क्या है? मैं सोशल मीडिया पर लिखता हूं जिससे लोग जागरुक बनें नेताओं की चालाकी समझें आपस में भाईचारा बना कर रखें,महिलाओं का सम्मान करें लेकिन वो लोग समझ नहीं पाते…शायद समझने की कोशिश भी नहीं करते जिसकी वजह से एक खीझ सी होने लगी है। इसलिए अब हमें नई जनरेशन पर फोकस करना चाहिए हमें बच्चों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनमें समझने की और सीखने की कहीं ज्यादा क्षमता होती है और शायद इच्छा भी…और वैसे भी बच्चे अपने मां-बाप के अपडेट वर्जन ही होते हैं और बच्चे ही अच्छे स्टूडेंट साबित होते हैं.इसलिए अब ज्यादा फोकस बच्चों पर करना है उन्हें सिखाने पर करना है।
एक उदाहरण से समझिए,जब भी रेप की कोई घटना सामने आती है तो हर तरफ से फांसी की मांग होती है कहा जाता है कि अगर फांसी होगी तो समाज में एक संदेश जाएगा,अपराधियों में डर का माहौल बनेगा, निर्भया मामले में दोषियों को फांसी हुई क्या डर का माहौल बना?क्या उसके बाद से रेप के मामले आना बंद हो गए या इन मामलों में थोड़ी बहुत भी कमी हुई? नहीं क्योंकि फांसी से हम सिर्फ अपराधी को ही खत्म कर पाते हैं अपराध या रेप की मानसिकता को नहीं?.ये दूषित मानसिकता खत्म करने के लिए हमें बच्चों पर ध्यान देना होगा उनमें शुरू से ही लड़की और लड़के में फर्क को खत्म करना होगा उन्हें ये समझाना होगा कि घर देर आने पर सिर्फ उनकी बहन से नहीं उनसे भी सवाल किया जाएगा। ऐसे ही बाकी चीजों के लिए जैसे किसी भी तरह की कट्टरता को पनपने से हमें बचपन से ही रोकना होगा,उन्हें धर्मवाद और जातिवाद से दूर रखना होगा और सबसे जरूरी,उन्हें अच्छी किताबों से दोस्ती करवानी होगी।
इसलिए अब हमें इनवेस्ट नई पीढ़ी में करना है और जब आप ऐसा करेंगे तो आप भी बहुत कुछ सीखते जाएंगे।
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