क्या आप जानते है की हेरोइन का chemical नाम डायसेटाइलमॉर्फिन है. और इसको एक वक्त पर खांसी दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अब आप सोच रहे होगें की ऐसा कैसे हो सकता है खांसी को दूर करने के लिए हेरोइन का क्या इस्तेमाल तो चलिए मैं आपको बताती हूं कि कैसे तैयार होती है हेरोइन और कैसे इसको खांसी दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और फिर इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
1800 के दशक के आख़िर के दौर में हेरोइन को प्रयोगशाला में तैयार किया गया. जिस समय इसे तैयार किया गया उसके कुछ सालों बाद इसका इस्तेमाल खांसी-ख़राश के लिए बनने वाली दवाओं में किया जाता था. लेकिन आज 100 साल बाद हेरोइन एक नशे में तब्दील हो चुकी है और इसका सेवन ग़ैर-क़ानूनी है. बीते 20 सालों में अकेले अमेरिका में क़रीब एक लाख तीस हज़ार से अधिक लोग इसके ओवर-डोज़ के कारण जान गंवा चुके हैं.
कैसे बनी हेरोइन?
हेरोइन के निर्माण के संबंध में जो सबसे पुरानी रिपोर्ट है, वह साल 1874(चौहत्तर) के दौर की है. जब एक अंग्रेज रसायनज्ञ CRA राइट ने इसे लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में मॉर्फिन से synthesized किया था. दवाओं के इतिहास के जानकार और बफ़ेलो यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर डेविड हर्ज़बर्ग कहा कि उस समय, “पहले से ही अफ़ीम और मॉर्फिन का इस्तेमाल दवा में किया जाता था इसलिए लोगों को पता था कि नशीले पदार्थों का इस्तेमाल भी दवा बनाने के लिए किया जा सकता है.”
रिरर्चर टीम के एक सदस्य ने डायसेटाइलमॉर्फिन को मॉर्फ़िन और कोडीन की जगह इस्तेमाल करने का विचार रखा. उन्होंने पहले जानवरों पर इसका परीक्षण किया और उसके बाद बेयर के लोगों पर और फिर बर्लिन में लोगों के पर. इसके परीक्षण से पता चला कि डायसेटाइलमॉर्फिन खाँसी पर कारगर है और कफ़ में राहत देती है. उस समय इसे “हेरोइक ड्रग” कहा गया. साल 1898 में बायर कंपनी ने एक कफ़ substance बनाना शुरू किया, जिसमें मुख्य घटक के तौर पर डायसेटाइलमॉर्फिन का इस्तेमाल किया जाता था. कंपनी ने अपने इस substance को नाम दिया- “हेरोइन”.
यह ख़ुराक पाउडर के रूप में होती थी. यह ख़ुराक़ 1 ग्राम, 5 ग्राम, 10 ग्राम और 25 ग्राम की डोज़ में होती थी. फिर बाद में यह सिरप के तौर पर आ गई और उसके बाद गोलियों लोजेन्ज और सपोसिटरी के रूप में भी ये ख़ुराक़ आने लगी.
यहां तक की साल 1914 तक मरीज़ों को हेरोइन ख़रीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची की ज़रूरत भी नहीं होती थी. उस समय तक अमेरिका ने हैरिसन नारकोटिक्स अधिनियम लागू नहीं हुआ था.
लेकिन हेरोइन की लत के बारे में क्या कहा गया?
हालांकि इसको बाजार में उतारने के साथ ही ऐसी चेतावनियाँ दी गई थीं कि हेरोइन की लत लग सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1900 और 1906 के बीच प्रकाशित हुए medical साहित्य में ऐसे “कई लेख मिलते हैं जो चेतावनी देते हैं कि इस दवा में नशे की लत की क्षमता है.”
कोर्टराइट के मुताबिक़, “20वीं शताब्दी की शुरुआत में 350 लोग जो बीमारी के लिए मॉर्फिन, अफीम या हेरोइन का इस्तेमाल करते थे, उनमें से केवल छह लोग ही हेरोइन के लती पाए गए. यह 1.7% था. इस दौरान, अफ़ीम और मॉर्फिन के आदी अधिक थे.” विशेषज्ञों के अनुसार, इसका एक प्रमुख कारण यह था कि खांसी की दवाओं में इसकी खुराक “बहुत कम” थी.
तो हेरोइन पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
विशेषज्ञों के अनुसार, इसका प्रमुख कारण यह था कि हेरोइन 1910 के दशक में अपराधियों के बीच लोकप्रिय हो गई थी. “अमेरिका में हेरोइन के गैर-चिकित्सा उपयोग के शुरुआती साक्ष्य 1910 के आसपास के हैं. और यही वो समय भी था जब दवा को लेकर विवाद शुरू हो गया.”
लेकिन अपराध की दुनिया में कैसे आयी हेरोइन?
इसके पीछे की कहानी यह है कि देश की जेल में कुछ कैदियों को खांसी के लिए हेरोइन मिली. इसके बाद बाकी कैदियों में यह बात फैल गई कि यह एक अच्छा मादक पदार्थ है. इसके बाद जेल के बाहर भी यह अफ़वाह फैल गई.” हालांकि “ऐसा लगता है कि हेरोइन से जुड़ी ये अफ़वाह कई जगहों से आई.”
इसके अलावा, हेरोइन कोकीन की तुलना में काले बाजार में सस्ती हो गई थी. और अफीम की तुलना में इसे खरीदना आसान था. येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन का कहना है कि 1912 तक, न्यूयॉर्क में युवा इसे एक रीक्रिएशनल दवा के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे.