Friday, May 10, 2024

Maharashtra Politics: कौन हैं Eknath Shinde, एक कट्टर शिवसैनिक | Who is Eknath Shinde

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अमूमन 21 जून को बड़ा दिन और योग दिवस छाया रहता है… लेकिन इस साल आज पूरे दिन एक नाम बहुत चर्चा में रहा… महाराष्ट्र से लेकर गुजरात तक इस नाम की चर्चा होती रही… ये नाम है एकनाथ शिंदे का… ये वही नाम है जिसकी वजह से महाराष्‍ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बताया जा रहा क‍ि श‍िंदे 20 से 25 विधायकों के साथ लापता हैं और वे गुजरात के सूरत में डेरा जमाए हुए हैं. सीएम उद्धव ठाकरे ने आनन-फानन में विधायकों की आपात बैठक बुलाई तो सहयोगी दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी सभी विधायकों को बुलाया है. उधर तीसरी बड़ी सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने अपने विधायकों को दिल्‍ली तलब किया है.आइए बताते हैं आपको कहानी एकनाथ शिंदे जिसने महाराष्‍ट्र सरकार को संकट में डाल दिया है.

एकनाथ शिंदे के बारे कहा जाता है क‍ि वे ठाकरे पर‍िवार के बाहर सबसे मजबूत ताकतवर श‍िवसैनिक हैं, कहा जाता है क‍ि 2019 में अगर उद्धव ठाकरे मुख्‍यमंत्री बनने के लिए राजी नहीं हुए होते एकनाथ श‍िंदे आज उसी कुर्सी पर होते। 59 साल के श‍िंदे महाराष्‍ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री हैं. साल 1980 में शिंदे श‍िवसेना से बतौर शाखा प्रमुख जुड़े थे, वे ठाणे की कोपरी-पांचपखाड़ी सीट से 4 बार विधायक चुने जा चुके हैं. शिंदे शिवसेना के लिए जेल भी जा चुके हैं इसीलिए इनकी इमेज एक कट्टर और वफादार श‍िव सैनिक की रही है.

एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका से हैं. ठाणे शहर में आने के बाद उन्होंने 11वीं कक्षा तक मंगला हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज, ठाणे से पढ़ाई की. इसके बाद वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने लगे. ऑटो रिक्शे चलाते-चलाते एकनाथ शिंदे अस्सी के दशक में शिवसेना से जुड़े गए और पार्टी के एक आम कार्यकर्ता के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया है.

एकनाथ शिंदे 1997 में ठाणे महानगर पालिका से पार्षद चुने गए और 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने. इसके बाद दोबारा साल 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने. इसके अलावा तीन साल तक पॉवरफुल स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य रहे. हालांकि, दूसरी बार पार्षद चुने जाने के दो साल बाद ही विधायक बन गए, लेकिन शिवसेना में सियासी बुलंदी साल 2000 के बाद छुआ. 

ठाणे इलाके में शिवसेना के दिग्गज नेता आनंद दीघे का साल 2000 में उनके निधन हो गया. इसके बाद ही बाद ठाणे में एकनाथ शिंदे आगे बढ़े. इसी बीच 2005 में नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी, जिसके बाद एकनाथ शिंदा का कद पार्टी में बढ़ता चला गया. राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद एकनाथ शिंदे क ग्राफ शिवसेना में तो बढ़ा ही बढ़ा और ठाकरे परिवार के करीबी भी बन गए. उद्धव ठाकरे के साथ एकनाथ मजबूती से खड़े रहै. 

वर्ष 2019 में जब श‍िवसेना ने भाजपा से गठबंधन तोड़ा तो तय हुआ वह एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाएगी और सीएम श‍िवसेना होगा. लेकिन सीएम बनेगा कौन, यह तय नहीं हो पा रहा था. उद्धव ने चुनाव नतीजे आने के बाद विधानसभा में विधायक दल का नेता एकनाथ शिंदे को बना दिया. तब लगा था क‍ि शिंदे ही मुख्यमंत्री बनाये जाएंगे। लेकिन शरद पवार और सोनिया गांधी चाहते थे कि उद्धव ही सीएम बनें. उद्धव पर अपने परिवार से भी सीएम पद स्वीकार करने के लिये दबाव था. ऐसे में शिंदे मुख्यमंत्री बनते बनते रह गये.

एकनाथ शिंदे की शिवसेना आलाकमान से नाराजगी की कोई नई बात नहीं है. बताया जा रहा क‍ि वे गठबंधन की तीनों पार्टी श‍िवसेना, कांग्रेस और एनसीपी से नाराज हैं. इसके पहले जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे तो उस समय भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना आलाकमान से खटपट की खबरें सामने आई थीं। तब यह भी कहा जा रहा था कि एकनाथ शिंदे अपने तमाम समर्थकों के साथ बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं. हालांकि उस वक्त यह खबरें गलत साबित हुई थीं और उन्होंने खुद इस बात का खंडन किया था, लेकिन अब दोबारा नाराजगी की बात सामने आई है.

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